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Sunday, 30 April 2017

अस्सी फीसदी प्रतिभाओं को सवर्णों द्वारा कुचला न गया होता तो आज देश बहुत आगे होता

अस्सी फीसदी प्रतिभाओं को सवर्णों द्वारा कुचला न गया होता तो आज देश बहुत आगे होता

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नई दिल्ली। राजस्थान के रहने वाले दलित छात्र कल्पित वीरवाल ने आईआईटी में टॉप किया है। देश में सर्वण वर्ग का वर्चस्व माना जाता है। लोगों का मानना है कि मेरिट और टैलेंट सर्वण वर्ग के लोगों में होती है, पर इन सब बातों को दरकिनार करते हुए राजस्थान के 17 साल के कल्पित ने आईआईटी में टॉप किया है, कल्पित ने आईआईटी में नया इतिहास रच दिया। कल्पित ने 360 में 360 नंबर हासिल किए।
ऐसा पहला मौका है जब किसी छात्र ने आईआईटी एग्जाम में 360 में से 360 नंबर हासिल किया है। कल्पित ने न सिर्फ दलित वर्ग में टॉप किया है बल्कि जनरल कटेगरी में भी टॉप कर मेरिटधारियों को पछाड़ कर रख दिया। कल्पित ने मेरिटधारियों को धोबिया पछाड़ लगाकर देशभर में साबित कर दिया है कि टैलेंट केवल सवर्णों की जागीर नहीं है।

आईआईटी टॉपर कल्पित इस वक्त सोशल मीडिया से लेकर वेबपोर्टल पर चर्चा में हैं। सोशल मीडिया पर रिएक्शन की बाढ़ सी आ गई है। कोई उसे यूपीएससी टॉपर टीना डाबी के बाद दलित हीरो बता रहा है, तो कोई साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत से तुलना कर रहा है।

वहीं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल अपने फेसबूक पेज पर लिखते हैं 'क्यों मीडिया वाले पंडा जी, आत्महत्या करने पर हर बार बताते हो कि दलित स्टूडेंट था। अब टॉपर हो गया तो बता रहे हो कि कंपाउंडर का बेटा है। ग़रीब परिवार का है। मने मतलब क्या है? एक बात पर टिको'
वहीं आशुतोष कुमार अपने फेसबूक पेज पर लिखते हैं। 'टीना डाबी के upsc टॉप करने के बाद अब दलित छात्र कल्पित ने IIT-JEE में टॉप किया है। ऐसी तमाम घटनाओं से एक ही बात साबित होती है। आप सबको पढ़ने का मौका दीजिए और फिर देखिए। ज़रा सोचिए कि भारत की अस्सी फ़ीसद प्रतिभाओं को जाति से कुचला न गया होता तो आज देश कहां होता।
सत्येन्द्र सत्यार्थी अपने फेसबूक पेज पर लिखते हैं 'भारत उस दौर से गुजर रहा है जब दलित पिछड़े आदिवासी संशाधनो के अभाव में स्कूलों में बहुत मेनहत कर के पास हो रहे और जिनको संशाधन मिल रहे वो सीधा 360/360!'
सोबरन कबीर यादव अपने फेसबूक पेज पर लिखते हैं 'कल्पित वीरवाल को बधाई। एससी वर्ग के कल्पित वीरवाल ने IIT परीक्षा में 360 में से 360 अंक प्राप्त किए हैं। ऐसा करने वाले वे पहले छात्र हैं। कमाल है मैरिट वाले छात्र जो कमाल आजतक नहीं कर पाए वो कल्पित ने कर दिखाया। आज कोई द्रोणाचार्य होता तो कल्पित की गर्दन मांग लेता।'

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